रविवार, 3 मई 2015

डमडम और बोली

चंपकवन  नाम  के  जंगल में  बहुत  सारे  जानवर  रहते थे।  उन्हीं  जानवरों  में  से  दो  जानवर  थे   डमडम  और बोली। डमडम  हाथी  था और  बोली  थी  एक  प्यारी सी , नन्ही सी गिलहरी। डमडम और बोली में  बहुत  अच्छी  दोस्ती  थी। सारे  जानवर  उन्हें  देख - देखकर  खुश  होते  रहते  थे। बोली गिलहरी  दिनभर  डमडम हाथी  की  पीठ पर सवार होकर  घूमा  करती थी और  पूरे  जंगल के  चक्कर  लगाया  करती थी। एक समय  ऐसा  आया कि  बोली  गिलहरी के  मन में  घमंड  आ  गया कि  डमडम हमेशा  मेरे  पांव  के  नीचे  रहता है और  मैं  उसके  सिर पर  सवार  रहती हूँ। विचार  तो  सच्चाई  से  अलग  था  पर वह  अपने  आप को  सर्वश्रेष्ठ  समझने लगी। कभी  वह  डमडम के ऊपर  हुक्म  चलाती  कभी  उसे  नीचा दिखाती डमडम सब कुछ  समझबूझ  कर  भी अपनी  इतनी  पुरानी  दोस्ती का  लिहाज  कर  शांत  रहता थाऔर  उसकी  बातें  सुनकर  हँस  देता था। 

     बोली  का  घमंड  देखकर  सारे  जानवर  पीठ  पीछे  उसका  मजाक  उड़ाते  थे  व  सामने  उसे  आता  देखकर उसे  सलाम करते हुए  हँसते थे। यह  देखकर  बेवकूफ़  बोली  समझती वह  उसकी  श्रेष्ठता  स्वीकार कर  रहे हैं।
एक दिन  जंगल में  बहुत  भारी  तूफान  आया। बिजली  बार  बार  कड़क  रही  थी बोली  जिस  पेड़ पर  रहती थी  उस पर  अचानक से  ज़ोर  की  कड़कड़ाहट के  साथ बिजली आ  गिरी।  पेड़  धू धू कर के  जलने  लगा  और  बोली  को  कुछ नहीं  समझ  में  आ  रहा  था कि वह  क्या करे? उसका  दम  धुएँ से  घुटने  लगा।  उसी समय  अपने  दोस्त  डमडम की सूँड  दिखाई  दी।  बेहोश होने  से पहले  उसे भीगने का  अहसास हुआ।।  डमडम  ने सूँड़  से  पानी  डाल  - डालकर  आग  बुझा  दी थी। जब  बोली  ने  आँख  खोली  तो  उसे  अपने  प्रिय  मित्र  डमडम  का  चिंतित  चेहरा  दिखाई  दिया। बोली  ने डमडम  को  देखकर  प्यारी सी  मुस्कान  दी। वह  समझ  चुकी  थी  कि  मित्रता  में  प्यार  होना  सबसे  ज़रूरी है  न कि  छोटा  - बड़ा  होना। 

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